आपने देखा
दिल्ली में
चेन्नई -गुवाहाटी में
राजकीय झाँकियों में
मैंने देखा
साइकिलों में
रिक्शों में
ऑटो में
ट्रकों और ट्रालियों में
तिरंगे को
लहराते हुए
बिखरी पड़ी थीं
खुशियाँ
चौराहे और गलियों में
खुशी से सारे
मुस्काती थीं
मुस्काते थे
मजहबों-जातियों के पार जा
खुश थे सभी
बूढ़े और बच्चियाँ
जवान और लड़कियाँ
चारों ओर शोर था
देशभक्ति गानों का
जोश से भरे थे मोड़
रास्तों में उल्लास था
कैसे उमग के लहराता तिरंगा
अगर सचमुच में होते
आज़ाद तो
हर हाथ को मिलता काम
हर आँख को मिलता आराम तो...
(राजीव राही, 15.08.2016)
No comments:
Post a Comment