(यह कविता लिखी नहीं, बोली गयी है. इसलिए सुधीजनों को इसमें गुरुत्व और घनत्व का अभाव दिखाई दे और यह लाजिमी भी है. यह स्पोंतेनिअस है,अगर उसी समय इसे रिकॉर्ड न कर लिया गया होता तो बाद में इसे फिर से, उसी तरह से लिख पाना संभव नहीं हो पाता. मैंने थोड़े-बहुत मामूली सुधार के साथ इस कविता को यहाँ उसी रूप में दे दिया है जैसे इसे बोला गया था.और भी कुछ कवितायेँ ऐसी हैं जिसे मैं आप लोगों के सामने रखूँगा. कोशिश है कि उस रेकॉर्डिंग को भी इस ब्लॉग पर अपलोड कर सकूँ. कविता को फिर से उसकी परम्परा से जोड़ने का किंचित प्रयास है यह. धन्यवाद.)
चलो तुम मुझसे बहुत नाराज़ हो
सोचते हो कि हमेशा लड़ाई और संघर्ष की ही बात क्यों करता हूँ
हमेशा चले आ रहे इतिहास को बदलने की ही बात क्यों करता हूँ
तो चलो आज कुछ बातें प्रेम पर करता हूँ
मैं अक्सर सोचता हूँ
कि मैं प्रेम पर कुछ कहूँ
प्रेम पर कुछ लिखूं
तुम लोगों के साथ साझा कर सकूँ कुछ प्रेम की बातें
पर प्रेम पर सोचते हुए
मैं अक्सर सोचता हूँ
कि ये प्रेम कैसे होता है
क्यों होता है
और किससे होता है
मेरे पड़ोस में रहने वाले कोई पंडिज्जी थे
वे हमेशा कहते थे कि प्रेम हमेशा बराबरी वालों से होता है
तो प्रेम के लिए जरुरी है
कि हम एक बराबरी के समाज का निर्माण करें
प्रेम के लिए जरुरी है
कि हम तुम एक दुसरे के समकक्ष आ सकें
एक दूसरे को बराबर समझ सकें
मेरी तरफ से तो यह तैयारी पूरी है
कि मैं तुमसे प्रेम की बातें करूँ या तुमसे कर सकूँ प्रेम
तो क्या तुम भी इस बात के लिए तैयार हो
अगर तुम शकुंतला के प्रेम की बात मुझसे करना चाहते हो
तो मैं इस बात के लिए तैयार नहीं हूँ
क्योंकि शकुंतला ने एक निश्छल प्रेम किया था
और उस निश्छल प्रेम का परिणाम पूरा इतिहास जानता है
हम और तुम जानते हैं
आने वाला भविष्य भी उसी इतिहास को दुहरायेगा
उस निश्छल प्रेम के परिणाम में
उसके पति ने उसे पहचानने से इंकार कर दिया
किसी ने कहा की वह बराबरी का प्रेम नहीं था
शकुंतला एक जंगली लड़की थी
मैं अक्सर सोचता हूँ
कि यह जंगली शब्द मुझे इतना परेशान क्यों करता है
और यह जंगली शब्द तुम्हे इतना 'प्रिय' क्यों है
ओह! फिर प्रेम के अन्दर एक जंगली शब्द आ गया
तुम कहोगे कि मेरा प्रेम जंगलीपन से भरा हुआ है
हाँ! मेरा प्रेम जंगलीपन से भरा हुआ है
क्योंकि जंगल में पैदा हुआ मैं आदमी
हर चीज को जंगल की नजर से देखता हूँ
अपनी जंगली नजर से ही मापता-तौलता हूँ
क्योंकि जंगल में रहते हुए
मेरी लड़ाई जिसके साथ है
मेरा प्रेम भी उसी के साथ हुआ
संघर्ष और सखत्व के माध्यम से ही
हम अपना सारा इतिहास रचते आये हैं
लेकिन चलो ठीक है
अगर तुम्हारे अनुसार मैं प्रेम की बाते कहूँ
तो मैं क्या कह पाऊंगा
मैं दो चार शब्द कहूँगा
दो चार गीत गुनगुनाऊंगा
और कहूँगा
कि मैं तुमसे इतना प्रेम करता हूँ
जितना आज तक किसी ने किसी से नहीं किया
पर मैं यह पहली बार तो नहीं कह रहा होऊंगा
इस तरह की बातें
कई लोगों ने कई बार दोहराया होगा
तो चलो मैं तुम्हें
अपने अनुसार प्रेम की बातें बताता हूँ
मैं अपने अनुसार प्रेम की बातों को तुम्हारे सामने रखता हूँ
मेरे लिए प्रेम का मतलब है बारूद की गंध
मेरे लिए प्रेम का मतलब है गोलियों की आवाज़
मेरे लिए प्रेम का मतलब है खून से लथपथ लाशें
मेरे लिए प्रेम का मतलब है जवान बेटे की लाश पर विलाप करता साठ साल का बूढ़ा बाप
मेरे लिए प्रेम का मतलब है भरोसे की एक बात को तरसते हुए लोग
मेरे लिए प्रेम का मतलब है एक लाश के साथ अपने प्रेम का इजहार करना
मेरे लिए प्रेम का मतलब है कि मैं अकेला ही करता रहूँ प्रेम और मैं जिससे करता हूँ प्रेम उसे कहीं मार दिया गया हो
मेरे लिए प्रेम का मतलब है एक दूसरे से ऐसे चिपट जाना जैसे अंतिम बार मिल रहे हों
मेरे लिए प्रेम का मतलब है अपने ही जमीन से विस्थापित कर दिए गए लोग
मेरे लिए प्रेम का मतलब है एक अनवरत लड़ाई
मेरे लिए प्रेम का मतलब है कि सारी पृथ्वी में सभी खुशहाल हों
मेरे लिए प्रेम का मतलब है कि कोई कभी किसी को दुःख न पहुंचाए
कभी किसी को जाति-धर्म के नाम पर
वर्ण के आधार पर दुखी न करे
पर तुम्हारे लिए मेरे ये सारे प्रेम के आदर्श
पिछड़ी हुई बाते हैं
तुम्हारे लिए यह प्रेम बीती हुई सदी का नाम है
तुम्हारे लिए यह प्रेम असभ्य प्रेम है
फिर जब हम और तुम आमने - सामने होंगे
तब प्रेम की बात नहीं हो सकती
मैं और तुम जब आमने - सामने होंगे
तब मेरी कही हुई बातें तुम्हें स्वीकार नहीं होंगी
तो साथी
हमारे और तुम्हारे बीच तो
सिर्फ लड़ाई हो सकती है
संघर्ष हो सकता है
जो एकतरफ़ा नहीं होगा
दोनों तरफ से होगा
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