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Saturday, October 8, 2011

'समझदारी’



पैदल चलता हूँ
तो सभी
कार, मोटरसाइकिल ,रिक्शे पे चलनेवाले
परेशानी पैदा करने वाले
जान पड़ते हैं

जब कभी
मोटरसाइकिल पर होता हूँ तो
लगता है
पैदल और रिक्शे पे
चलने वाले लोगों को
अब तक चलने की
तमीज ही नहीं आयी है

और जब कभी
किसी के साथ कार में होता हूँ
तो पैदल, रिक्शे, मोटरसाइकिल और बस पे चलने वाले
बिलकुल ढीठ प्रतीत होते हैं

मैं इतना सब कुछ समझता हूँ
और यह सब समझते हुए भी
हवाई जहाज पर चढ़ने की
हसरत रखता हूँ 

2 comments:

vishesh said...

saathi bahut acchi kavita hai,akedam sateek,aaj ke aadmi ki soch ko byan karte hue...bdhai

राही डूमरचीर said...
This comment has been removed by the author.